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जब प्रधानमंत्री से मांगी पुलिस ने रिश्वत। पूरे थाने की लग गयी....

 


सन 1979 में जब चौधरी चरण सिंह जी भारत के प्रधानमंत्री बने, तब उन्हें उत्तर प्रदेश के किसानों की तरफ से उत्तर प्रदेश पुलिस की लापरवाही की शिकायत मिली, जिसके बाद उन्होंने खुफिया तरीके से पुलिस को सबक सिखाने की सोची।

चौधरी चरण सिंह जी ने शाम को एक साधारण किसान बनकर थाने जाने का प्रोग्राम बनाया।

शाम के करीब 6:30 बजे वो इटावा के ऊसराहार थाने में साधारण से कपड़ो में, अपने दो जोड़ी बैल चोरी की रिपोर्ट लिखाने पहुचे। एक सिपाही के पास गए, तो उसने उनको थोड़ा इंतजार करने को बोला। बहुत देर बाद उन्होंने फिर रिपोर्ट लिखने के लिए बोला तो सिपाही ने अनसुना कर दिया।

काफी समय बाद एक सिपाही ने आकर कहा चलो दरोगा जी बुला रहे है, दरोगा ने पुलिस के अंदाज में 5-6 आड़े टेड़े सवाल पूछे और बिना रिपोर्ट लिखे डांटकर जाने के लिए बोल दिया। 



जब वो थाने से जाने लगे तो पीछे से एक सिपाही आया, "ताऊ थोड़ा खर्चा पानी देवे तो रपट लिख ली जावेगी" रिपोर्ट लिखने की बात पर वो खुश तो हुए लेकिन रिश्वत को लेकर माथे में बल पड़ गए। उन्होंने गुहार की कि वो एक बहुत गरीब किसान है, लेकिन सिपाही ने एक ना सुनी। काफी देर तक प्रार्थना करने के बाद कुछ रकम देकर रिपोर्ट लिखने की सहमति हुई। 35 रूपये की रिश्वत लेकर रिपोर्ट लिखना तय हुआ। रिपोर्ट लिखने के बात सिपाही ने अंगूठा या हस्ताक्षर करने के लिए बोला।

उन्होंने हस्ताक्षर के लिए हाथ बढाया और हस्ताक्षर किए बाद में उन्होंने स्याही वाली पेड उठाई तो सिपाही असमंजस आया कि ये हस्ताक्षर के बाद अब अंगूठा लगाएगा। लेकिन जब उन्होंने अपनी जेब मे हाथ डालकर मोहर रिपोर्ट ओर लगाई तो सिपाही देखकर दंग रह गया, उस पर लिखा था, "प्रधानमंत्री, भारत सरकार" ये देखकर पूरे थाने में हड़कंप मच गया। उस दिन वह पूरा थाना सस्पेंड हो गया था। 

ऐसे थे हमारे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी।।

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